विविध संस्कृतिया\Diffrent Culture


बाबाजी किसी सांचे में बंधे नहीं है. गाँव देहात के सीधेपन से लेकर विदेशों की आधुनिकता, खेल के मैदान से लेकर सागरतट तक, घरेलू कामकाज से लेकर टेक्नोलॉजी तक, योग से लेकर आधुनिक विद्यार्थियों के विषयों तक बाबाजी सभी जगह सहज होते हैं. धर्म से लेकर हास्य व्यंग्य तक एक ही व्यक्तित्व को देखकर अटपटा लगता है. बाहरी दिखावे से बाबाजी को पहचान पाना मुश्किल होता है. क्योंकि एक व्यक्ति में अनेक व्यक्तित्व मिले हुए है.......इसीलिये कई बार तो लोग बच्चों के साथ खेलते हुए बाबाजी से ही लोग पूछ बैठते हैं कि बाबाजी कहाँ मिलेंगे ? बाबाजी की मूल बोली मालवी हिंदी है पर देश और विदेश के हर भाषा और संस्कृति के लोगों से उनका आत्मीय जुड़ाव है. इसलिए कहा जा सकता है बाबाजी तो सबके है और सब बाबाजी के हैं.

Baba Ji is not tied to any preconceived mold. He feels at home, be it the simplicity of a village life, modernness of abroad, from the playing fieldto the beaches, from domestic work to technology, or from Yoga to the subjects of modern students. It seems strange to see the same personality speaking on Dharma to humor and satire. It’s difficult to recognize him from his outer look, because there are many personalities mixed in one individual. Sometimes when Baba Ji is playing with children, people ask him where he can be found!


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